काव्यसंग्रह

काव्यसंग्रह (हिंदीतून)

1) जाओगे जितना हमसे दुर...

जाओगे जितना हमसे दुर,
उतना याद आओगे हुजूर ।

जाओगे जितना हमसे दुर, 
उतना याद आओगे हुजूर ।
छोडो ना ऐसे हमे तुम,
हा तुम्हे है कसम ।

प्यार है तुमसे इतना,
निंदो में तुम, ख्वाबों में तुम ।
चाहा है तुमको इतना,
भुलेसे ना भुल पाते तुम ।
कैसा मेरा ये दिवानापन है,
लगता है जैसे पागलपन है ।
जाओ न ऐसे छोडकर,
जाओ न ऐसे छोडकर,
हा तुम्हे है कसम ।

तेरे बिन जिना नही मुमकीन,
हर पल याद बस आते तुम ।
सांसे ले रहा मै गिंनगिन,
हर सांस में भी समाये तुम ।
तेरी यादें मुझको सताती है,
सोने नही देती, रातभर जगाती है ।
छोडो ना ऐसे मोडपर, 
छोडो ना ऐसे मोडपर,
हा तुम्हे है कसम । 

तुझे भुलना है अब मुश्किल,
पल पल दिल ये कहता है । 
याद कर के वो बिते पल,
दिल मेरा, अब तो रोता है ।
कितनी सुहानी थी, वो बिती बातें,
कसमे, रस्मे, वो मुलकाते ।
आओगे फिर तुम लौटकर,       
आओगे फिर तुम लौटकर,
हा हमे है यकिन ।  


जाओगे जितना हमसे दुर, 
उतना याद आओगे हुजूर ।  
छोडो ना ऐसे हमे तुम,
हा तुम्हे है कसम ।       


2) प्यार प्यार प्यार हमको प्यार हो गया है ।

प्यार प्यार प्यार हमको प्यार हो गया है,
दिल ये हमारा अब तुम्हारा हो गया है  ॥ धृ ॥
प्यार प्यार प्यार हमको प्यार हो गया है,
दिल ये हमारा अब तुम्हारा हो गया है । 

निंदें लुटी तुने, चैन भी छिना,
मुश्किल कर दिया मेरा जिना ।
तेरी अदाने मुझे कर दिया घायल,
कह सकती हो मुझे तुम भी पागल ।
कैसी ये दिवानगी,
बन गयी अब बंदगी ।
हा प्यार में तेरे दिल दिवाना हो गया है  ॥ १ ॥  

जबसे मिला मै तुझसे खो सा गया हूँ,
कहते है सब, दिवाना हो सा गया हूँ ।
चाहत में तेरी तुझको पूज रहा हूँ,
खोए हुए दिल को अब मै ढुंढ रहा हूँ ।
तू मेरी है जिंदगी,
तू जो नही, तो मै भी नही ।
हा इश्क में देखो ये अफसाना बन गया है ॥ २ ॥

अपना बना के मुझे छोड नही देना,
सपना दिखा के उसे तोड नही देना ।
तेरी बातों का मुझ पे चल गया जादू,
दिल नही मेरा बस में, है बेकाबू ।
सपनो को तु रांनी,
तु मेरी प्रेमकहानी ।
हा दुश्मन हमारा ये जमाना हो गया है ॥ ३ ॥      

प्यार प्यार प्यार हमको प्यार हो गया है,
दिल ये हमारा अब तुम्हारा हो गया है  ॥ 


3) शेरो -शायरी

इश्क तुम क्या खाक करते हो ।
इश्क तुम क्या खाक करते हो ।
इश्क करना तो हमसे सिखो ।
इश्क में हम जलते है, तडपते है ।
खुद के जनाजे पे रो भी खुद लेते है ।
उनसे इतना प्यार करते है,
के हम आज भी उस बेवफा का शिद्दत से इंतजार करते है ।


४) मौत का इंतज़ार न कर पाये...,
जज़्बात नहीं थे या हालात नहीं थे,
शायद हम हाल-ए-दिल बयां न कर पाये।
ना वह हमारे थे ना हम उनके थे,
पर कंबख्त ये जुदाई हम बर्दाश्त न कर पाये।
दिल था टूटा टुकड़े टुकड़े हो गया,
ग़म-ए-मोहब्बत ये थी के हम उनका दीदार न कर पाये।
हर ज़ख़्म हर दर्द दिया तोहफ़े में तुने ए ज़िंदगी
पर शिकवा रहा ये के आख़िर तक हम मौत का इंतज़ार न कर पाये।
-स्वप्निल र. पवार

५) कबीर सिंह- एक्सटेंडेड वर्जन ऑफ दिल का दरिया
क़िस्मत में लिखा हैं ये कैसा सफ़र?
तुम नहीं साथ में, हम तनहा उम्रभर।
जाने क्या हो गयी हैं ख़ता हमसे जो
रूठी रूठी हो तुम, बेहाल हैं हम
बात करती तन्हाईयाँ
और वफ़ा करतीं सितम
तेरे बिन अब ना लेंगे एक भी दम
तुझे कितना चाहें और हम।
तेरे साथ हो जाऐंगे ख़तम,
तुझे कितना चाहें और हम।
- स्वप्निल पवार